प्यासी चींटी और कबूतर - Pyasi Chiti Or Kabutar Hindi Story - Hindi Kahaniya

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Monday, September 6, 2021

प्यासी चींटी और कबूतर - Pyasi Chiti Or Kabutar Hindi Story

 प्यासी चींटी और कबूतर - Pyasi Chiti Or Kabutar Hindi Story

प्यासी चींटी और कबूतर - Pyasi Chiti Or Kabutar Hindi Story




एक समय की बात है, गर्मियों के दिनों में एक चींटी बहुत प्यासी थी और वो अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश कर रही थी. कुछ देर आस –पास तलाश करने के बाद वह एक नदी के पास पहुंची.

सामने पानी था, लेकिन पानी पीने के लिए वह सीधे नदी में नहीं जा सकती थी, इसलिए वह एक छोटे से पत्थर के ऊपर चढ़ गई. लेकिन जैसे ही उसने पानी पीने की कोशिश की, वह गिर कर नदी में जा गिरी.

उसी नदी के किनारे एक पेड़ था, जिसकी टहनी पर एक कबूतर बैठा था. उसने चींटी को पानी में गिरते हुए देख लिया. कबूतर को उस पर तरस आया और उसने चींटी को बचाने की कोशिश की. कबूतर ने तेजी से पेड़ से एक पत्ता तोड़कर नदी में संघर्ष कर रही चींटी के पास फेंक दिया.

चींटी उस पत्ते के पास पहुंची और उस पत्ते में चढ़ गयी. थोड़ी देर बाद, पत्ता तैरता हुआ नदी किनारे सूखे आ गया.. चींटी ने पत्ते में से छलांग लगाई और नीचे उतर गई. चींटी ने पेड़ की तरफ देखा और कबूतर को उसकी जान बचाने के लिए धन्यवाद किया.

इस घटना के कुछ दिनों बाद, एक दिन.. एक शिकारी उस नदी किनारे पहुंचा और उस कबूतर के घोंसले के नजदीक ही उसने जाल लगा दिया और उसमें दाना डाल दिया. वह थोड़ी ही दूर जाकर छुप गया और उम्मीद करने लगा कि वह कबूतर को पकड़ लेगा. कबूतर ने जैसे ही जमीन में दाना देखा वह उसे खाने के लिए नीचे आया और शिकारी के जाल में फंस गया.

वो चींटी वहीं पास में थी और उसने कबूतर को जाल में फंसा हुआ देख लिया. कबूतर उस जाल में से निकलने में असमर्थ था. शिकारी ने कबूतर का जाल पकड़ा और चलने लगा. तभी चींटी ने कबूतर की जान बचाने की सोची और उसने तेजी से जाकर शिकारी के पैर में जोर से काट लिया.

तेज दर्द के कारण शिकारी ने उस जाल को छोड़ दिया और अपने पैर को देखने लगा. कबूतर को जाल से निकलने का यह मौका मिल गया और वह तेजी से जाल से निकल कर उड़ गया.

सीख: कर भला, हो भला. हम जब भी दूसरों का भला करते हैं, तो उसका फल हमें जरुर मिलता है. कबूतर ने चींटी की मदद की थी और उसी मदद के फलस्वरूप मुश्किल समय में चींटी ने कबूतर की जान बचाई. इसलिए कभी भी किसी की सहायता करने या अच्छा करने से पीछे न हटें। जब भी मौका मिले, दूसरो की बिना किसी स्वार्थ के मदद करें.

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