अक़्लमंद हंस - Panchtantra Ki Kahani - Hindi Kahaniya

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Wednesday, September 15, 2021

अक़्लमंद हंस - Panchtantra Ki Kahani

 अक़्लमंद हंस - Panchtantra Ki Kahani

 

अक़्लमंद हंस - Panchtantra Ki Kahani




एक बहुत विशाल पेड़ था. उस पर वहुत सारे हंस रहते थे. उनमें एक बहुत स्याना हंस था, बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी. सब उसका आदर करके ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे. एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया. ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा “देखो, इस बेल को नष्ट कर दो. एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी.”

एक युवा हंस हंसते हुए बोला “ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?”

स्याने हंस ने समझाया “आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही हैं. धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी. फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बन जाएगी. कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएंगे.”

दूसरे हंस को यक़ीन न आया “एक छोटी-सी बेल कैसे सीढ़ी बनेगी?”

तीसरा हंस बोला “ताऊ, तुम तो एक छोटी-सी बेल को खींचकर ज़्यादा ही लंबा कर रहे हो.”

एक हंस बड़बड़ाया “यह ताऊ अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट-शंट कहानी बना रहा है.”

इस प्रकार किसी दूसरे हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया. इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी?

समय बीतता रहा. बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखों तक पहुंच गई. बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई. जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था. सबको ताऊ की बात की सच्चाई सामने नज़र आने लगी. पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मज़बूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी. एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिआ उधर आ निकला. पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढ़कर जाल बिछाया और चला गया. सांझ को सारे हंस लौट आए पेड़ पर उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए. जब वे जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे, तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा. सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे. ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था.

एक हंस ने हिम्मत करके कहा “ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो.”

दूसरा हंस बोला “इस संकट से निकालने की तरक़ीब तू ही हमें बता सकता है. आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे.” सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया “मेरी बात ध्यान से सुनो. सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना. बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकालकर ज़मीन पर रखता जाएगा. वहां भी मरे समान पड़े रहना. जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा. मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना.”

सुबह बहेलिया आया. हंसों ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था. सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर ज़मीन पर पटकता गया. सीटी की आवाज़ के साथ ही सारे हंस उड गए. बहेलिया अवाक् होकर देखता रह गया.

सीख – बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए.

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